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जुबा खामोश और आंखें नम है एक जिंदा लाश के जैसे हम

जुबा खामोश और आंखें नम है 
एक जिंदा लाश के जैसे हम है

 ना रास्तों का पता न मंजिल का ठिकाना है 
जैसे भटका हुआ  मुसाफिर हो आजकल वैसे हम हैं

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  Anjali Anupriya GOPAL (RAJASTHANI) varshangi shrivastava Maneet