🌺 🌺 🌺 🌺 🌺 🌺 🌺 🌺 🌺 वोह गलियां , वोह चौबारा 🌺 🌺 🌺 🌺 🌺 🌺 🌺 🌺 🌺 अब यह गलियां और अपना शहर भी पराया लगता है अपनों के दिल में रहने का भी किराया लगता हैं गुम हो गई वोह खुशबू और सादगी अब एहसासों में आज-कल सच्चे प्यार की हवाओं में भी कुछ मिलाया लगता हैं 💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘 🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻 ©Sethi Ji वक़्त-वक़्त की बात है यारों वक़्त से बड़ा ना कोई खेल जो समझ जाएं बात आंखों-आंखों में उससे बड़ा ना कोई मेल ।। 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐