हर बार आया जो किराएदार, रंग बदल बैठी हर बार दिवार, किसी को पर्दों से शिकायत थी, किसी को बागों के फूल ना भाए, सबने कोना कोना बदल दिया, फिर उन्हें एसा पसंद आया क्या? बस दिवारें?बस दिवारें,बस दिवारें, वो दिवार भी जिसका रंग बदला जाएगा, एक चहरा उतरा,तस्वीर पे अगला आएगा, नाम की तख्ती उतरेगी दरवाजों के सर से, कुछ वक्त आजाद हो जाएंगे वो घर फिर से, रक्म तय होगी और खरिदार जुटाए जाएंगे, सुहाने सपनों से कुछ रक्मदार लुभाए जाएंगे, एक मालिक ने सब लुटाके बनाया क्या? कुछ दिवारें,कुछ दिवारें,कुछ दिवारें ।। #house #home #walls #wall #hindipoetry #hindi #poetry #yqdidi