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हर रोज की रात गुजरती है मेरी पिछली रातों की तरह सक

हर रोज की रात गुजरती है मेरी पिछली रातों की तरह सकूं न मिला मुझे आवारा बादलों की तरह

हादसा कोई कभी गुजर जाए रात इसी अंदेशा में जागता रहता हूं सन्नाटा ढूंढ़ता है पागलों की तरह

तू कभी बदनसीब रही मेरी तरह गर इजाज़त हो तो चला आऊंगा तेरे पास तड़पते ख्यालों की तरह

ये मत पूछ मंज़र ए शाम ओ सहर मुझ पे क्या गुजरी निगाह जब मिला देखा आपने सवालों की तरह

न जाने कैसी हकीकत का सामना करना पड़ा हमें तमाम रात उलझती हवा गुजरी है बलाओं की तरह

कितना दुस्वार दुनिया में ये हुनर आना भी तुझसे फासला रखना और याद में रखना मिशालों की तरह

    मेरी स्वरचित इक नई ग़ज़ल तमन्ना ए बेताब ए दिल

©Prem Narayan Shrivastava मेरी स्वरचित इक ग़ज़ल तमन्नाएं ए बेताब ए दिल की पेशकश

#Soul
हर रोज की रात गुजरती है मेरी पिछली रातों की तरह सकूं न मिला मुझे आवारा बादलों की तरह

हादसा कोई कभी गुजर जाए रात इसी अंदेशा में जागता रहता हूं सन्नाटा ढूंढ़ता है पागलों की तरह

तू कभी बदनसीब रही मेरी तरह गर इजाज़त हो तो चला आऊंगा तेरे पास तड़पते ख्यालों की तरह

ये मत पूछ मंज़र ए शाम ओ सहर मुझ पे क्या गुजरी निगाह जब मिला देखा आपने सवालों की तरह

न जाने कैसी हकीकत का सामना करना पड़ा हमें तमाम रात उलझती हवा गुजरी है बलाओं की तरह

कितना दुस्वार दुनिया में ये हुनर आना भी तुझसे फासला रखना और याद में रखना मिशालों की तरह

    मेरी स्वरचित इक नई ग़ज़ल तमन्ना ए बेताब ए दिल

©Prem Narayan Shrivastava मेरी स्वरचित इक ग़ज़ल तमन्नाएं ए बेताब ए दिल की पेशकश

#Soul