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आँखो में ************ (ग़ज़ल) तू मईशत !...मेरे दि

आँखो में
************
(ग़ज़ल)

तू मईशत !...मेरे दिल की,  मैं देख के तुझको तस्कीन होता हूंँ।
सफ़ीना  गिरदाब  फंसा पार लग जाऊं  तुम नजरें मिलाओ तो।।

तेरी आँखो में प्रबल मनोवेग से यूँ  जल रहा मेरा तन -बदन।
ज़रा पास आकर तुम , घनी गेसुओं‌ जुल्फें!.... गिराओ तो।।

मिरी जीने की वजह तुमसे, यूँ तो मर चुके हैं सारे अरमान ।
तन-ए-ज़ार फिर से जान आ ए, तुम मोहब्बत जताओ तो।।

दिल-ओ-जां से ए जाने-जां,इश्क़-ए-उल्फत चाहते हैं तुमसे ।
कुर्बत-ए-मिलन भी होगा,तुम ज़रा हमारा दिल‌ बहलाओ तो।।

आंखों में अंगार भरे, हाए रूखसार पर  गेसूओं का खलल ।
झुकती-उठती मिज्गाँ करे कतल, तुम दुश्मनी निभाओ तो।।

इमरोज़ ' रोज़ी' हाल दिल का, क्या कहे तुमसे, कैसे बतलाए ।
इब्तिदा-ए-इश्क़ है, तुम गाफिल-ए-इश़्क में दिल बहलाओ तो।। #अपनी_ज़बान 
#अपनी_जबान_sc_4 
#सब्सक्राइबर_अपनी_ज़बान  
#collabwith_अपनी_ज़बान 
#आंखों_में 
#गज़ल
आँखो में
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(ग़ज़ल)

तू मईशत !...मेरे दिल की,  मैं देख के तुझको तस्कीन होता हूंँ।
सफ़ीना  गिरदाब  फंसा पार लग जाऊं  तुम नजरें मिलाओ तो।।

तेरी आँखो में प्रबल मनोवेग से यूँ  जल रहा मेरा तन -बदन।
ज़रा पास आकर तुम , घनी गेसुओं‌ जुल्फें!.... गिराओ तो।।

मिरी जीने की वजह तुमसे, यूँ तो मर चुके हैं सारे अरमान ।
तन-ए-ज़ार फिर से जान आ ए, तुम मोहब्बत जताओ तो।।

दिल-ओ-जां से ए जाने-जां,इश्क़-ए-उल्फत चाहते हैं तुमसे ।
कुर्बत-ए-मिलन भी होगा,तुम ज़रा हमारा दिल‌ बहलाओ तो।।

आंखों में अंगार भरे, हाए रूखसार पर  गेसूओं का खलल ।
झुकती-उठती मिज्गाँ करे कतल, तुम दुश्मनी निभाओ तो।।

इमरोज़ ' रोज़ी' हाल दिल का, क्या कहे तुमसे, कैसे बतलाए ।
इब्तिदा-ए-इश्क़ है, तुम गाफिल-ए-इश़्क में दिल बहलाओ तो।। #अपनी_ज़बान 
#अपनी_जबान_sc_4 
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#आंखों_में 
#गज़ल