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जब तुम दरवाजे से मेरे कमरे में दाखिल होते हो मुझे

जब तुम दरवाजे से मेरे कमरे में दाखिल होते हो
मुझे भींच लेते हो कस के अपनी बाहों में
ऐसे कि हम सदियों बाद मिले हों
ऐसे कि जन्म जन्म के प्यासे को नदी दिख गई हो

यही कहा था मैंने उस रोज 
जब तुमने पूछा था 
जब हम चोरी चोरी मिलते हैं
तुम किस लम्हे को रखना चाहती हो हमेशा अपने साथ

हम कितनी ही बार मिले ऐसे
बंद कमरों में, चुपके चुपके
पर कुछ नहीं बदला सिवाय इस शहर के

वो सर्दियों की एक दोपहरी थी
हम आखिरी बार मिले थे जुदा होने से पहले
मुझे विदा करने से पहले तुमने गले लगाया था
ऐसे की जैसे कुछ था ही नहीं हमारे बीच

सच कहूं तो उस रोज मैं रोया था
मन भीग गया था तुम्हारी बेरुखी से
फिर मुझे तुम्हारी बात याद आई 
कि जब तुम दरवाजे से मेरे कमरे में दाखिल होते हो
और आज तो मैं निकल रहा था 
तुम्हारे कमरे से...

©ABRAR 
  जब तुम दरवाजे से दाखिल होते हो..
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Ritu Joshi Arzooo ASIF ALVI MM Mumtaz VARUN..  Anamika Sharma
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ABRAR

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जब तुम दरवाजे से दाखिल होते हो.. #abrarahmad #kavita #Dil__ki__Aawaz Love Ritu Joshi @Arzooo ASIF ALVI @MM Mumtaz VARUN.. @Anamika Sharma

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