वो जो मेरा है ...जी आदत.. उसकी कुछ खराब है कहता कुछ नहीं और सब कह जाता है वो जो निगाहे है उसकी अदा उन्ही की तो बेहिसाब है जो शांत सी खुद , मगर बेचैनी का सबाब है वो जो मेरा है....जी आदत ..उसकी कुछ खराब है । जो करता प्यार बेहिसाब है, पर बयाँ करने में लबों पर जैसे दबाब है मन में है जो कुछ , आंखों में उसका ही झलकाव है मगर शांत सा वो , और ये चुप्पी उसकी यही तो खास है वो जो मेरा है ...जी आदत ...उसकी कुछ खराब है ।। वो जो मेरा है....