समिधा सा जल चुका हूँ, कष्टों की उलझीं हुई भट्टीयों में। मेरा क्या कोई उपहास करेगा ,इक दिन मिल जाएगा मिट्टी में। ✍️लिकेश ठाकुर समिधा-हवन की लकड़ी; समिधा सा जल चुका हूँ, कष्टों की उलझीं हुई भट्टीयों में। मेरा क्या कोई उपहास करेगा, इक दिन मिल जाएगा मिट्टी में। ✍️लिकेश ठाकुर समिधा-हवन की लकड़ी; #Nojoto #farmar