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शिक्षित व्यक्ति का बस एक ही सपना रह गया-पैसा। वह क

शिक्षित व्यक्ति का बस एक ही सपना रह गया-पैसा।
वह किसी भी व्यक्ति का अहित कर सकता है,
स्वयं के हित के लिए।
संस्कारों का देहान्त हो गया।
शिक्षित व्यक्ति के जीवन में धन के प्रवेश के साथ ही
संस्कार उठ जाते हैं।
अपनी बुद्धिमानी की होशियारी में
वह स्वयं के अहित से शुरू करता है।
जीवन-दूसरों का-उसके लिए मात्र पदार्थ रह जाता है।
स्वयं के लिए जीने लगता है।
अपने किए का सुख भोगने में व्यस्त हो जाता है।
इसी का एक पक्ष है
‘कन्या भ्रूण हत्या’ का बढ़ता अभिशाप।
कोई विचार नहीं करता कि बिना स्त्री के
पुरुष की प्रजाति भी लुप्त हो जाएगी।
स्त्री भी गुणवान हो,
ताकि समाज और देश संस्कारवान बन सके।
यह कार्य भी पुरुष को ही करना पड़ेगा।
नहीं तो इसकी कीमत
उसी की अगली पीढिय़ां चुकाएंगी। 💕👴🍫☕☕😋😊🙏🍫💕💓👴🙏🙏🙏🍨
:💕👴🍫☕💕
नवरात्रा पूजा के नौ दिन देश शक्ति की आराधना करता है। उसके आगे अपना सर्वस्व समर्पित कर समृद्धि और खुशहाली मांगता है। महिला को यह दर्जा शरीर के कारण नहीं, बल्कि स्त्रैण गुणों के कारण, नई पीढिय़ों को संस्कारित करने और समाज से असुरों का नाश करने की शक्ति के लिए दिया जाता है।  घर-घर में कन्या पूजन किया जाता है। अभ्युदय के लिए उनसे आशीर्वाद लिया जाता है।

और उसके बाद…? नौ दिन बाद जैसे सब भुला दिया जाता है।  फिर वही सिलसिला शुरू हो जाता है। रेप और गैंगरेप! पीडि़ताओं के प्रति पुलिस का अट्टाहास! अब तो थानों में भी होने लगे गैंगरेप। प्रतिदिन मीडिया सजा-धजाकर इन खबरों को परोस रहा है। सरकारें और पुलिस मगरमच्छी आंसू बहाते हैं, जनता का मन बहलाने के लिए। चारों ओर बेटियों के प्रति दरिन्दगी! अभी तो कलियुग बहुत बाकी है। लोग घरों में घुसकर गैंगरेप करने लगे। पति के हाथ से पत्नी को छीनकर रेप करने लगे। तब कौन मां-बाप ऐसी परिस्थितियों में बेटी पैदा करना चाहेंगे। स्कूल के मास्टर अबोध का शिकार करने लगे और सरकार का संगीत चलता है-‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ।’ किसके भरोसे? हो सकता है आने वाले समय में पुलिस अधिकारी भी बेटी पैदा करना न चाहें।

परिणाम भी देखते जाएं….
शिक्षित व्यक्ति का बस एक ही सपना रह गया-पैसा।
वह किसी भी व्यक्ति का अहित कर सकता है,
स्वयं के हित के लिए।
संस्कारों का देहान्त हो गया।
शिक्षित व्यक्ति के जीवन में धन के प्रवेश के साथ ही
संस्कार उठ जाते हैं।
अपनी बुद्धिमानी की होशियारी में
वह स्वयं के अहित से शुरू करता है।
जीवन-दूसरों का-उसके लिए मात्र पदार्थ रह जाता है।
स्वयं के लिए जीने लगता है।
अपने किए का सुख भोगने में व्यस्त हो जाता है।
इसी का एक पक्ष है
‘कन्या भ्रूण हत्या’ का बढ़ता अभिशाप।
कोई विचार नहीं करता कि बिना स्त्री के
पुरुष की प्रजाति भी लुप्त हो जाएगी।
स्त्री भी गुणवान हो,
ताकि समाज और देश संस्कारवान बन सके।
यह कार्य भी पुरुष को ही करना पड़ेगा।
नहीं तो इसकी कीमत
उसी की अगली पीढिय़ां चुकाएंगी। 💕👴🍫☕☕😋😊🙏🍫💕💓👴🙏🙏🙏🍨
:💕👴🍫☕💕
नवरात्रा पूजा के नौ दिन देश शक्ति की आराधना करता है। उसके आगे अपना सर्वस्व समर्पित कर समृद्धि और खुशहाली मांगता है। महिला को यह दर्जा शरीर के कारण नहीं, बल्कि स्त्रैण गुणों के कारण, नई पीढिय़ों को संस्कारित करने और समाज से असुरों का नाश करने की शक्ति के लिए दिया जाता है।  घर-घर में कन्या पूजन किया जाता है। अभ्युदय के लिए उनसे आशीर्वाद लिया जाता है।

और उसके बाद…? नौ दिन बाद जैसे सब भुला दिया जाता है।  फिर वही सिलसिला शुरू हो जाता है। रेप और गैंगरेप! पीडि़ताओं के प्रति पुलिस का अट्टाहास! अब तो थानों में भी होने लगे गैंगरेप। प्रतिदिन मीडिया सजा-धजाकर इन खबरों को परोस रहा है। सरकारें और पुलिस मगरमच्छी आंसू बहाते हैं, जनता का मन बहलाने के लिए। चारों ओर बेटियों के प्रति दरिन्दगी! अभी तो कलियुग बहुत बाकी है। लोग घरों में घुसकर गैंगरेप करने लगे। पति के हाथ से पत्नी को छीनकर रेप करने लगे। तब कौन मां-बाप ऐसी परिस्थितियों में बेटी पैदा करना चाहेंगे। स्कूल के मास्टर अबोध का शिकार करने लगे और सरकार का संगीत चलता है-‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ।’ किसके भरोसे? हो सकता है आने वाले समय में पुलिस अधिकारी भी बेटी पैदा करना न चाहें।

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💕👴🍫☕☕😋😊🙏🍫💕💓👴🙏🙏🙏🍨 :💕👴🍫☕💕 नवरात्रा पूजा के नौ दिन देश शक्ति की आराधना करता है। उसके आगे अपना सर्वस्व समर्पित कर समृद्धि और खुशहाली मांगता है। महिला को यह दर्जा शरीर के कारण नहीं, बल्कि स्त्रैण गुणों के कारण, नई पीढिय़ों को संस्कारित करने और समाज से असुरों का नाश करने की शक्ति के लिए दिया जाता है। घर-घर में कन्या पूजन किया जाता है। अभ्युदय के लिए उनसे आशीर्वाद लिया जाता है। और उसके बाद…? नौ दिन बाद जैसे सब भुला दिया जाता है। फिर वही सिलसिला शुरू हो जाता है। रेप और गैंगरेप! पीडि़ताओं के प्रति पुलिस का अट्टाहास! अब तो थानों में भी होने लगे गैंगरेप। प्रतिदिन मीडिया सजा-धजाकर इन खबरों को परोस रहा है। सरकारें और पुलिस मगरमच्छी आंसू बहाते हैं, जनता का मन बहलाने के लिए। चारों ओर बेटियों के प्रति दरिन्दगी! अभी तो कलियुग बहुत बाकी है। लोग घरों में घुसकर गैंगरेप करने लगे। पति के हाथ से पत्नी को छीनकर रेप करने लगे। तब कौन मां-बाप ऐसी परिस्थितियों में बेटी पैदा करना चाहेंगे। स्कूल के मास्टर अबोध का शिकार करने लगे और सरकार का संगीत चलता है-‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ।’ किसके भरोसे? हो सकता है आने वाले समय में पुलिस अधिकारी भी बेटी पैदा करना न चाहें। परिणाम भी देखते जाएं….