अर्सों बाद हुआ, क़ाबिल-ए-याद हुआ तेरा झूठ हुआ बे-पर्दा, मेरा घरौंदा बर्बाद हुआ। तूने जो हर बार किया, सिलसिले वार किया, तेरा झूठ हुआ बे-पर्दा, जब मैंने इक़रार किया। तेरे हर लम्हों को, था मैंने आबाद किया और तूने मेरे दिल को, था सीने से आज़ाद किया तख्त-ओ-ताज की, ख्वाहिश न थी वक़्त ठीक न था, मग़र गर्दिश न थी। छोड़ गया मझधार में, थपेड़ों की मार में आहें भरना आम है, अब तेरे इंतज़ार में। दुआ करने लायक न छोड़ा, न काबिल-ए-फ़रियाद हुआ तेरा झूठ हुआ बे-पर्दा, मेरा घरौंदा बर्बाद हुआ। ♥️ Challenge-596 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।