नाकामयाबी पाकर भी जो होता नहीं शर्मिंदा है। उम्मीदों की मशाल लिए जो रोशनी सा जिंदा है। कुछ ख़्वाब हैं कुछ उम्मीदें हैं आंखों में उसके पिंजरा को तोड़ जाएगा एक दिन, ऐसा वो परिंदा हैं। ©Subham Shiv उम्मीद का परिंदा... #vishi775 #उम्मीद #पिंजरा #आजादी #आशाएँ #रौशनी