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आरंभ है प्रचंड बोले मस्तकों के झुंड आज जंग की घड़ी

आरंभ है प्रचंड बोले मस्तकों के झुंड आज जंग की घड़ी की तुम गुहार दो आन बाण शान या कि जान का हो दान आज एक धनुष के बाण पे उतार दो !!
आरंभ है प्रचंड बोले मस्तकों के झुंड आज जंग की घड़ी की तुम गुहार दो आन बाण शान या कि जान का हो दान आज एक धनुष के बाण पे उतार दो !!