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इस चाँद से मुखड़े को तुम, यूँ नक़ाब में न क़ैद करो। ल

इस चाँद से मुखड़े को तुम, यूँ नक़ाब में न क़ैद करो।
लोग हुस्न-ए-दीदार के प्यासे हैं, ज़रा सा तो फ़ैज़ करो। ♥️ आइए लिखते हैं दो मिसरे प्यार के। 😊

♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें। 💐

♥️ केवल 2 पंक्ति लिखनी हैं और वो भी प्यार की।

♥️ कृपया स्वरचित एवं मौलिक पंक्तियाँ ही लिखें।
इस चाँद से मुखड़े को तुम, यूँ नक़ाब में न क़ैद करो।
लोग हुस्न-ए-दीदार के प्यासे हैं, ज़रा सा तो फ़ैज़ करो। ♥️ आइए लिखते हैं दो मिसरे प्यार के। 😊

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