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अंतर्मन से राग-द्वेष मिटाकर, दीप ज्योति से ज्योतिर

अंतर्मन से राग-द्वेष मिटाकर, दीप ज्योति से ज्योतिर्मय संसार करें।
दूरी का परिमाप मिटाकर,प्यार-स्नेह-अपनत्व से अपना जीवन भरें।

इस पर्व में प्रेम-सरलता,श्रद्धा-ममता का हृदय कोष में वास करें।
पर्व है पुरुषार्थ का, सब मिल दीप जलाएं, एक दूजे का ध्यान धरें। 🌝प्रतियोगिता-54 🌝
 दीवाली की आप सभी को हार्दिक शुभकामनायें 🌟🌟
✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️

🌹"दीप ज्योति"🌹

🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या 
केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I
अंतर्मन से राग-द्वेष मिटाकर, दीप ज्योति से ज्योतिर्मय संसार करें।
दूरी का परिमाप मिटाकर,प्यार-स्नेह-अपनत्व से अपना जीवन भरें।

इस पर्व में प्रेम-सरलता,श्रद्धा-ममता का हृदय कोष में वास करें।
पर्व है पुरुषार्थ का, सब मिल दीप जलाएं, एक दूजे का ध्यान धरें। 🌝प्रतियोगिता-54 🌝
 दीवाली की आप सभी को हार्दिक शुभकामनायें 🌟🌟
✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️

🌹"दीप ज्योति"🌹

🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या 
केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I