झूठ को कितना भी सच बनाने की कोशिश कर लें, एक ना एक दिन झूठ को बे-पर्दा होना ही पड़ता है। सच्चाई को छुपा लें हम चाहे कितने भी पर्दों के अंदर, एक न एक दिन तो सबके सामने आना ही पड़ता है। जिंदगी हम जी रहें हो चाहे जितने भी ऐशो-आराम से, एक ना एक दिन सब कुछ छोड़कर जाना ही पड़ता है। ♥️ Challenge-596 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।