ये जो शख़्स अंदर ठहरा है , लगता है तुफां-ए-समंदर से कहीं घिरा है...। हर बार छलक ही जाती है तबस्सुम इसकी, लगता है कोई ज़ख़्म गहरा है....।। बड़ी शिद्दत से मिटा देता है ये शिकन अपनी, लगता है कई बार इसने अपनी रूह को सिला है...। हर बार चमक ही जाती है नज़रें इसकी, लगता है अब भी कहीं किसी कोने में जिंदा है...।। -Angel ❤️ बंद कर दिए हैं इसने रूह के दरवाजे कब से, लगता है अब भी अंदर कहीं बिखरा पड़ा है...। बड़ी कारीगरी से उकेर देता है कई रंग पर्दों पर, लगता है अब भी खुद कहीं बेरंग लिबास से लिपटा पड़ा है...।। जर्जर हो चुकी सांसो से भी ख़ैरियत कहता है वो.... लगता है मेरे ख़ुदा तेरी इबादतों में अब भी उसका सब्र कहीं तो जिंदा है ....!!-Anjali Rai (शेरनी..❤️) ये जो शख़्स अंदर ठहरा है ....✍️ ❤️❤️❤️❤️ ये जो शख़्स अंदर ठहरा है , लगता है तुफां-ए-समंदर से कहीं घिरा है...। हर बार छलक ही जाती है तबस्सुम इसकी, लगता है कोई ज़ख़्म गहरा है....।।