उठके जो हमने देखा तो पास थे खिलौने, बचपन के मीत मेरे कुछ हाल के सिलौने। सब छूट सा रहा था दिल टूट सा रहा था सूने मिले मुझे तो मेरे दिल के चारों कोने! यादों की गहरी गठरी खफ़गी में आ गई। मन भूल जो चुका था झपकी में छा गई । यूँ चाहतों का झोंका छू कर मुझे गया तो! सोई हुई मोहब्बत को थपकी लगा गई। ♥️ Challenge-548 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।