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कभी कभी कोई दिन गुजरता ही नहीं रहता और कभी ऐसे ख़त

कभी कभी कोई दिन गुजरता ही नहीं रहता
और कभी ऐसे ख़त्म हो जाता है की कब सुबह से शाम ढल जाती है ये पता ही नहीं चलता!
ढलती दोपहरी और सांझ के आगमन के संग तन्हा बैठकर
एक कप सुकून भरी चाय के संग डूबते सुरज से बातें करती हूं,
मानो जैसे पूरे दिन का वृतांत साझा कर रही हूं किसी अपने के संग।

©Drx punam rao
  #sadquotes