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स्लेट आज खुद के साथ बैठकर अचानक बचपन की स्लेट या

स्लेट 

आज खुद के साथ बैठकर अचानक बचपन की स्लेट याद आ गई। जिस पर लिखकर हम गीले रूमाल से मिटा देते थे। फिर स्लेट को सुखाकर कुछ नया लिख लेते थे, पहले से ज़्यादा खूबसूरत और परिपक्व। काश जिंदगी भी स्लेट होती तो गीली आँखें सुखाकर कुछ नया लिख लेते, पहले से ज़्यादा खूबसूरत और परिपक्व।  #स्लेट 
#wingsofpoetry
स्लेट 

आज खुद के साथ बैठकर अचानक बचपन की स्लेट याद आ गई। जिस पर लिखकर हम गीले रूमाल से मिटा देते थे। फिर स्लेट को सुखाकर कुछ नया लिख लेते थे, पहले से ज़्यादा खूबसूरत और परिपक्व। काश जिंदगी भी स्लेट होती तो गीली आँखें सुखाकर कुछ नया लिख लेते, पहले से ज़्यादा खूबसूरत और परिपक्व।  #स्लेट 
#wingsofpoetry