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बोलते सामने चार शब्द प्यार के पीठ पीछे बुराई करते

बोलते सामने चार शब्द प्यार के
पीठ पीछे बुराई करते , डरपोक , गीदड़ सारे है।
रहते साथ पास ये,
ना जाने क्यों , बनते रहते खास ये,
 करीबी, हमदर्द बन रिश्ते ये निभाते है,
अगले ही पल असली रंग ये दिखते है।
बाते अच्छी सच्ची करते 
दिल को ये छू जाते है,
भोले - भाले प्यारे है,
मुखौटा झूठ का लगाए ये सारे है। 
जो दिखते अच्छे न्यारे हैं ,
ये नकली चहरे सारे है।

-    सृष्टि जैन #InspireThroughWriting #poem #Hindi
बोलते सामने चार शब्द प्यार के
पीठ पीछे बुराई करते , डरपोक , गीदड़ सारे है।
रहते साथ पास ये,
ना जाने क्यों , बनते रहते खास ये,
 करीबी, हमदर्द बन रिश्ते ये निभाते है,
अगले ही पल असली रंग ये दिखते है।
बाते अच्छी सच्ची करते 
दिल को ये छू जाते है,
भोले - भाले प्यारे है,
मुखौटा झूठ का लगाए ये सारे है। 
जो दिखते अच्छे न्यारे हैं ,
ये नकली चहरे सारे है।

-    सृष्टि जैन #InspireThroughWriting #poem #Hindi
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