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जिधर देखो उधर मंजर हैं तन्हाई के दिन अच्छे


जिधर  देखो  उधर  मंजर हैं   तन्हाई के 
दिन अच्छे चल रहे हैं शायद बेवफ़ाई के

जितने ख़्वाब थे सब बहा दिए आँखों ने 
किसने सौंप दिए इन्हें ये काम सफ़ाई के 

दर्द ओ ग़म कम क्यों नहीं होता ऐ मयखाने 
बोल क्या फायदे हैं कमबख़्त तेरी दवाई के 

जिसपे  नज़र पड़ती है  दूर  हो जाता है 
पहले तो नहीं थे  ये मौसम  रुसवाई  के 

दूर तलक जाके पूछती है नज़र हर बार आके 
कब लौटेगा वापस वो शख़्स बाद विदाई के 

गुनाह ए मुहब्बत की सजा कब तलक रहेगी 
साहेब और कितने दिन बाकी हैं सुनवाई के 

यादों की गिरफ़्त अपनी-सी लगने लगी है 
कौन है ही मेरा कहाँ जायेंगे बाद रिहाई के 
©technocrat_sanam 
  #रिहाई
जिधर  देखो  उधर  मंजर हैं   तन्हाई के 
दिन अच्छे चल रहे हैं शायद बेवफ़ाई के

जितने ख़्वाब थे सब बहा दिए आँखों ने 
किसने सौंप दिए इन्हें ये काम सफ़ाई के 

दर्द ओ ग़म कम क्यों नहीं होता ऐ मयकदे

जिधर  देखो  उधर  मंजर हैं   तन्हाई के 
दिन अच्छे चल रहे हैं शायद बेवफ़ाई के

जितने ख़्वाब थे सब बहा दिए आँखों ने 
किसने सौंप दिए इन्हें ये काम सफ़ाई के 

दर्द ओ ग़म कम क्यों नहीं होता ऐ मयखाने 
बोल क्या फायदे हैं कमबख़्त तेरी दवाई के 

जिसपे  नज़र पड़ती है  दूर  हो जाता है 
पहले तो नहीं थे  ये मौसम  रुसवाई  के 

दूर तलक जाके पूछती है नज़र हर बार आके 
कब लौटेगा वापस वो शख़्स बाद विदाई के 

गुनाह ए मुहब्बत की सजा कब तलक रहेगी 
साहेब और कितने दिन बाकी हैं सुनवाई के 

यादों की गिरफ़्त अपनी-सी लगने लगी है 
कौन है ही मेरा कहाँ जायेंगे बाद रिहाई के 
©technocrat_sanam 
  #रिहाई
जिधर  देखो  उधर  मंजर हैं   तन्हाई के 
दिन अच्छे चल रहे हैं शायद बेवफ़ाई के

जितने ख़्वाब थे सब बहा दिए आँखों ने 
किसने सौंप दिए इन्हें ये काम सफ़ाई के 

दर्द ओ ग़म कम क्यों नहीं होता ऐ मयकदे