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"जब भी हम कोई शायरी लिखते हैं ll शब्दों से आपकी ब

"जब भी हम कोई शायरी लिखते हैं ll
 शब्दों से आपकी बराबरी लिखते हैं ll

 आप होतीं तो साथ अंताक्षरी खेलते, 
 आप नहीं हैं तो   अंताक्षरी लिखते हैं ll

 प्रेम दया अंत:मन की शुद्ध रचनाएँ हैं
 नफरत निर्दयता को बाहरी लिखते हैं ll

 कोई कवि लेखक या शायर नही हैं हम, 
 इंसान हैं, इंसानियत बिरादरी लिखते हैं ll

 आज की रचना लिखने के बाद
 हम आज की हाजरी लिखते हैं ll"

©Aditya kumar prasad
  मेरे अनकहे अल्फाज़

मेरे अनकहे अल्फाज़ #Poetry

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