की प्रेम का धागा बांध आशा की ज्योत लगा, विश्वास का अनुराग कर तुम्हें भगवान बनाकर, स्वप्न को गंध बनाकर एक बुबुन समझकर, तुमसे रिश्ता जोड़कर तुम्हारे दर्दों को पीकर, अपने किस्सों को बयां कर आज उमंगों को फिर जगाकर, अपने आप को जीवंत कर सागर में लहर बनकर, शब्दों को ढाल बनाकर दुनियां को आंख दिखाकर, आज फिर कहीं गुम होकर हदों को पार कर, निकल पड़ा हूँ संग तेरे इस सफर पर, बस समझ सबकी रखकर, तुम्हें फिर क्यों नही पाकर कहता हूं आज,.......... तुम क्यों नहीं समझते.... तुम क्यों नहीं समझते?... #क्योंनहींसमझते #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi