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'मेरा मानना है, अमृत कुछ नही बस देवताओं के प्याली

'मेरा मानना है, अमृत कुछ नही बस देवताओं के प्याली की चाय है। और इंसानी दुनियाँ में चाय ही प्रेम का संवाद कर सकती है।'
""मैं चाय प्रेमी हूँ, यक़ीनन आप भी होंगे,
अन्यथा तो आप इस जीवन के महानतम सुख को भोगे बग़ैर ही परलोक सिधार जाएंगे!"
आप सभी को अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस की प्याली भर शुभकामनाएं।☕☕...

चाय के साथ-चाय पर विशेष लेख अनुशीर्षक में पढ़े :- - चाय की प्याली उठाते ही अनहद सुकूँ तारी हो जाता है,
शुरुआत आँखों से ही होती है, हर प्यार की तरह।
आज हमारी चुस्की की गुफ़्तगू के इतर होठों ने बग़ावत के स्वर ढाले हमदोनों से कुछ सवाल किए,
सवाल ये था कि पहले चुस्की ले या होठों पर बिखरे सवालों को संभाले? हमने प्यारे चाय को सुस्ताने भर छोड़ा, और सवाल का चिंतन किया!
सवाल था चाय पीने वालों के जाती, बटवारे व मतभेद को लेकर।
जाती इसलिए कि हर जिंदा जात चाय नहीं पीती, कुछ मरने की प्रतीक्षा में लीन होते हैं, उनके लिए चाय से महत्वपूर्ण मौत है। 
ज़वाब सोचना हमारा धर्म है, तो इस तरह हम जवाब की तलाश में अपने मस्तिष्क के रुधिर तक पे जोड़ दे डाले।
ज़वाब मिलावटी था, जैसे दुध में पानी,सच्चे झूठ में सच, अनाज में कंकड़, बेइमानी में ईमानदारी।
'मेरा मानना है, अमृत कुछ नही बस देवताओं के प्याली की चाय है। और इंसानी दुनियाँ में चाय ही प्रेम का संवाद कर सकती है।'
""मैं चाय प्रेमी हूँ, यक़ीनन आप भी होंगे,
अन्यथा तो आप इस जीवन के महानतम सुख को भोगे बग़ैर ही परलोक सिधार जाएंगे!"
आप सभी को अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस की प्याली भर शुभकामनाएं।☕☕...

चाय के साथ-चाय पर विशेष लेख अनुशीर्षक में पढ़े :- - चाय की प्याली उठाते ही अनहद सुकूँ तारी हो जाता है,
शुरुआत आँखों से ही होती है, हर प्यार की तरह।
आज हमारी चुस्की की गुफ़्तगू के इतर होठों ने बग़ावत के स्वर ढाले हमदोनों से कुछ सवाल किए,
सवाल ये था कि पहले चुस्की ले या होठों पर बिखरे सवालों को संभाले? हमने प्यारे चाय को सुस्ताने भर छोड़ा, और सवाल का चिंतन किया!
सवाल था चाय पीने वालों के जाती, बटवारे व मतभेद को लेकर।
जाती इसलिए कि हर जिंदा जात चाय नहीं पीती, कुछ मरने की प्रतीक्षा में लीन होते हैं, उनके लिए चाय से महत्वपूर्ण मौत है। 
ज़वाब सोचना हमारा धर्म है, तो इस तरह हम जवाब की तलाश में अपने मस्तिष्क के रुधिर तक पे जोड़ दे डाले।
ज़वाब मिलावटी था, जैसे दुध में पानी,सच्चे झूठ में सच, अनाज में कंकड़, बेइमानी में ईमानदारी।