जब जब अंधेरे ने अपना सर उठाया है .... तब तब रोशनी ने खुद का वजूद दिलाया है... खो जाते है लोग अक्सर अपनी उन बेदर्द जिंदगी में... तब तब रोशन करने एक उजाला आया है... तन से अंधेरे की परछाई तो हटा लेंगे मन के मैल कैसे हटाओगे ... चंद पल की खुशियां ले कर .... क्या जिंदगी खुशाल बनाओगे।। दिल से अंदर के रावण को क्या तुम आज मार पाओगे ... हर साल रावण तो जलाओगे ... क्या खुद के अंधेरे को रोशन कर पाओगे।। ©vedant vivek #Vijayadashmi