मुलाक़ात का तो उसने वादा कर डाला... मै कम जज़्बाती था,उसने ज्यादा कर डाला.. आया नहीं वो मुकमल वक़्त पर.. मै बहुत नाराज़ था बहुत उस पर.. पर आते ही उसने मुझे गले से लगा डाला... कितना शातिर है, उसने आग को पानी कर डाला... जो मन अब तक था भारी भारी सा... देखो एक मुलाक़ात में उसने सब हल्का कर डाला.. ©kapil rawat #kardala