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My dear poem मैं गमजदा गमों की महफ़िल में बै

My dear poem मैं गमजदा  गमों   की महफ़िल में    बैठा था
बहुत  आए    चाहने    वाले  मनाने   के लिए
कैसे मान जाता शायद खुद से खफा बैठा था something for me
My dear poem मैं गमजदा  गमों   की महफ़िल में    बैठा था
बहुत  आए    चाहने    वाले  मनाने   के लिए
कैसे मान जाता शायद खुद से खफा बैठा था something for me