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हर रोज नई महफिल में, बस एक नजारा मिलता है, कहीं पू

हर रोज नई महफिल में, बस एक नजारा मिलता है,
कहीं पूरा चंदा दिखता है, कहीं दिल का टूटा तारा मिलता है,
और जब-जब देखी है मैंने, ये प्यारी दुनिया दिल वालों की,
फिर वहीं मोहब्बत में डूबा जग,सारा-का-सारा मिलता है|।
-बृजेन्द्र 'बावरा,




www.facebook.com/bawraspoetry/ हर रोज नई महफिल में, बस एक नजारा मिलता है,
कहीं पूरा चंदा दिखता है, कहीं दिल का टूटा तारा मिलता है,
और जब-जब देखी है मैंने, ये प्यारी दुनिया दिल वालों की,
फिर वहीं मोहब्बत में डूबा जग,सारा-का-सारा मिलता है|।
-बृजेन्द्र 'बावरा,
Good Morning...
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#www.facebook.com/bawraspoetry
हर रोज नई महफिल में, बस एक नजारा मिलता है,
कहीं पूरा चंदा दिखता है, कहीं दिल का टूटा तारा मिलता है,
और जब-जब देखी है मैंने, ये प्यारी दुनिया दिल वालों की,
फिर वहीं मोहब्बत में डूबा जग,सारा-का-सारा मिलता है|।
-बृजेन्द्र 'बावरा,




www.facebook.com/bawraspoetry/ हर रोज नई महफिल में, बस एक नजारा मिलता है,
कहीं पूरा चंदा दिखता है, कहीं दिल का टूटा तारा मिलता है,
और जब-जब देखी है मैंने, ये प्यारी दुनिया दिल वालों की,
फिर वहीं मोहब्बत में डूबा जग,सारा-का-सारा मिलता है|।
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