कैसे रिश्ते नाते साहब मिलते नहीं फरिश्ते साहब जीवन के मापदंड बदल गए रिश्ते रह गए नाम के साहब सारे रिश्ते नीलाम हुए दौलत के हाथों गुलाम हुए कपड़ो की तरह बदलते रिश्ते आज यहाँ कल वहाँ है दिखते नाते रिश्तो में आई दरार दौलत से अब होता करार सूख रही रिश्तो की बेल नहीं रहा आपस में मेल ये नया दौर है साहब, यहाँ रिश्ते-नाते सब नाम के हैं। समाज को आइना दिखाती हुई एक रचना करें। #रिश्तेनाते #collab #yqdidi .. YQ Sahitya पर हिंदी साहित्य और साहित्यकारों के बारे में पढ़ें। #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi