बहुत घमण्ड था अपनी शक्लो सुरत पर बहुत घमण्ड था इन दौलतो शोहरत पर सबके सबने साथ छोड़ दिया तेरा कुछ भी न काम आया तेरी मौत पर वो कपड़े भी साथ छोड़ गये एक कफन देखकर बहुत था घमण्ड तुझे जिस रेशमी किमती कपड़ो पर वो शहर वो सुबहो शाम भी जाने कहाँ चले गये जरा सी खाक क्या पड़ी तेरे चेहरे पर देख तुझे खाक मे मिला आये तेरे अपने ही बहुत घमण्ड था न तुझे इन्ही अपनो पर न करना तू भी कभी किसी चीज का घमण्ड अली देख तेरा भी यही हश्र होगा तेरी रूह निकलने पर #जिन्दगी से किसकी #रिश्तेदारी है आज #हमारी तो कल #तुम्हारी बारी है.. #मौत को कोई झूठला नही सकता यही #हकीकत यही #सच्चाई है..!! इसलिये किसी भी चीज का #घमण्ड मत करना!!