हजारों मील उड़कर .. हजारों पंक्षियां .. हर शाम मेरे बागीचे के पेड़ पर मिलने आते हैं .. फिर मिलकर मधुर ध्वनि में गीत गाते हैं .... और एक हम हैं जो बगल के पड़ोसी से भी .. महीनों ना मिलने के कई कारण बताते हैं ! # मिलने जुलने का रिवाज कहां ? #