अर्पण कर दिया मोहब्बत का सागर, फिर भी परखा जाएगा, उम्मीद ना थी, स्याह सर्द रातों में वह दर्द भरा , मंज़र यू जगाएगा, उम्मीद ना थी, तेरे जहा में क्यों प्यार नहीं तेरा, मरहम ही जख्म दे जाएगा, उम्मीद ना थी, रात सपनों भरी चांदनी की हैं ओढ़नी, रूठ जाएगी मुझसे रात, उम्मीद ना थी। #रातकाअफ़साना #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #रोज़ी_संबरीया