ज़िन्दगी की इस बन्द किताब में उगते सूरज की तरह आई वो... सोचा था हमने की एक हिस्सा बन कर रुक जाएगी वो मेरी ज़िंदगी में मगर वो तो एक पल की मोहब्बत कर शाम की तरह ढल गयी... Prashant🤨