#क्यूंकि तू कुएं के मेंढक जैसा है, तूने बाहर निकल कर कहाँ देखा है? जो भी बंधन है सब तेरे अंदर है। बाहर तो सूरज की चमकती रेखा है। बाहर निकल आगे बढ़ तूने कब पर्दो में रहना सीखा है? घर की दिवार के सिवा बाहर कब किसी ने रोका है? #क्यूंकि#Nojoto#Hindipoetry#NishhShayri