Nojoto: Largest Storytelling Platform

इसकदर मेरी नजर को तुम भा गये। जब भी जरा सी आँख लगी

इसकदर मेरी नजर को तुम भा गये।
जब भी जरा सी आँख लगी आ गये।।

तेरी सुरत को हम, अपना आइना किए बैठे हैं।
बिन श्रृंगार के ही, तुम तो चेहरा मेरा सजा गये।।

हर गुल पर लिखी है, चिट्ठी तेरे ही नाम की,
हर खत का जबाब, हम खुशबूओं से पा गये।।

तेरी नेह की मखमली धूप, है आँगन में मेरे,
दूर रहकर ही सही, साथ तुम तो निभा गये।।

आज फिर, गमगीन आँखे मेरी बरस पड़ी,
आज फिर बादल से, तुम दिल पर छा गये।।
- निलम

©Nilam Agarwalla
  #इसकदर