दुआएं न होतीं घरों में सदाएं न होतीं गर पर्वत ही होते यहां और फ़िज़ाएं न होतीं तब कौन लिखता अपने क़ुर्ब से हर दिल को चिट्ठियां ? कि बेटियां गर न होतीं घरों में मायें न होतीं ! 🌸 ❤️ #happydaughtersday