लब पर ख़ामोश सच्चाई लिये फ़िरती हूँ, नज़रों में बेरुख रुसवाई लिये फ़िरती हूँ। ज़फ़ा-ए-इश्क़ में भीगी नज़्म के गगन में, वफ़ा-ए-बंदिगी की रुबाई लिये फ़िरती हूँ। यूँ ही बस!! #smriti_mukht_iiha #nojoto