मिरे साथ, सफ़र में रहो ये ज़िंदगी एक ही है। यूं थमने को मत कहो, ये ज़िंदगी एक ही है।। किसी गुलबाग से कम नहीं हैं, ख़्वाहिशें मेरी। बनके गुल मुझमें खिलो ये ज़िंदगी एक ही है।। कि मिरा मतला भी तुम औ मक्ता भी तुम्हीं हो। बस तुम कथानक बनो, ये ज़िंदगी एक ही है।। कर्म धर्म शर्म मर्म बहुत बह लिया ख़ून में मेरे। क़िरदार बन मुझमें बहो ये ज़िंदगी एक ही है।। भागके मुझसे दूर भी तुम मुझ तलक आओगी। मिरी तरफ़ क़दम तो रखो ये ज़िंदगी एक ही है।। यूं थमने को मत कहो, ये ज़िंदगी एक ही है। मिरी तरफ़ क़दम तो रखो ये ज़िंदगी एक ही है।। ©Shivank Shyamal #romanticstory #shivanksrivastavashyamal