ये मजबूरियाँ ही तो थी......... जो कहने आया था...... वो कह न सका..... जो दिल ने महसूस किया, वो जुबां पर उतर न सका.............और जो जुबां पर उतर कर आया......... वो किसी को समझ न आया............... समझता भी कैसे कोई मुझे,........... हमें नासमझी का खिताब जो हासिल है....... # अकेलेपन का हमसफर