अपने ही दिल की बातें कुछ यूं ही बता रहा हूं इसलिए धीरे धीरे ओझल होता जा रहा हूं गम नहीं तुमसे दूर जाने का मुझे दिन के बाद सूरज को भी डूबते देख रहा हूं गोलू स्वामी suraj Ki trh