और ज़माना कर भी क्या सकेगा । इस वक़्त में व्यक्त से व्यक्तित्व जलता है धर्म से कर्म करते रहो, परिणाम से पृथक रहकर और यदि ये अपने बारे में कहा जाए तो समझिए कि कभी कभी पत्थर भी खाकर उसे पिघला के चबा लेना जानते हैं वक़्त को कर भर लेने दो आहें कह लेने दो की हम हैं आगे और तुम पीछे एक दिन वक़्त भी अपने आप वक़्त की धारा में बहकर वक़्त ही हो जाएगा । और ज़माना कर भी क्या सकेगा। हम हमेशा फ़रेब खाते रहे... #फ़रेब #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi