थी इक...... Please read caption थी इक ज़र्रे की तरह मैं उसकी रोशनी ने कहीं मुझ में मिल कर मुझे आसमान-ए-आफ़ताब बना दिया..... थी इक बुझे हुए चिराग की तरह मैं उसकी तेज़ लौ ने मुझ में मिल कर मुझे शमा-ए-महताब बना दिया.....