कुछ लोगों का व्यक्तित्व रोजमर्रा काम करते हुए भी खास छाप छोड़ जाता है। ऐसा ही व्यक्तित्व था किशोर कुमार सारस्वत,रतनगढ ( किशोर )काउंटर कैशियर का। वह जब लेन-देन के समय नोट गिनता था तो उसकी बोडी में एक आकर्षक लय पैदा होती थी और मैं उसको देख कर आनंदित होता था। यों लगता था जैसे यह पैसे गिनने की मशीन ही है । वह अपने काम को आन्दित होकर करता था और जैसे ही उसके पास लाईन कम होती तो दूसरी लाईन में दूर खड़े ग्राहक को आवाज देकर अपनी लाईन में बुला लेता था । हमेशा चेहरे पर एक ताजगी भरी मुस्कराहट रहती थी। सब से हंस कर उनकी बात सुनता और यथासंभव समस्या का हल भी बताता था। आज भी मैं जब भी किसी बैंक में जाता हूं तो हर काउंटर पर नजर डालता हूं कि क्या पता कहीं कोई किशोर जैसा दिख जाये।। ©Mohan Sardarshahari कोई किशोर जैसा दिख जाये