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White धरा पर मानवता होती रही है तार तार। संकुचित ह

White धरा पर मानवता होती रही है तार तार।
संकुचित होते जा रहे हैं सब के विचार।।
धर्म के नाम पर फैलाया जा रहा है हाहाकार।
ईश्वर-अल्लाह की लड़ाई का हो रहा व्यापार।।
महंगाई की परवाह नहीं सज रहे बाबा का दरबार।
शिक्षा हो रही चौपट, मारे-मारे फिरते हैं बेरोजगार।।
यहां अन्नदाता किसानों पर जारी है अत्याचार।
मानव के विनाश को तैयार है जैविक हथियार।।
झूठों का बोलबाला है, झूठ का हो रहा है प्रचार।
आंख में धूल झोंक कर फैलाये जा रहे अंधकार।।
स्त्री पुरुष की समता पर हो रहा है बारंबार प्रहार।
लिंग भेद करने वालों के जीवन पर है धिक्कार।।
लूट ,शोषण, बाह्याडम्बन का सज रहा है बाजार।
छीने जा रहे हैं जन-जन से स्वतंत्रता का अधिकार।।
मिलकर करें विचार कैसे सजे खुशियों का संसार।
यहां विनाश नहीं प्रेम भाईचारे का चाहिए उपहार।।

©Dr Wasim Raja
  #Moon मानवता हो रही तारतार

#Moon मानवता हो रही तारतार #कविता

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