आज का ख़्याल इंतेज़ार की हद क्या होती है,कोई हमसे पूछे जनाब, सिर्फ एक हां की खातिर सुबह को शाम किया है ©कवि शिवा "अधूरा" #दिल #इंतेज़ार #Dark