दुख हुआ सुनकर कोई उधर घायल है, यहाँ बटी खुशी की मिठाई, तो वहाँ गम के नमकीन बादल। खुश अगर वो नहीं तो हमें मिठाई कैसे स्वाद दे पाएगी, हमें भी खुश नहीं रखना खुद को, जब तक ये नमकीन बादल आप से दूर नहीं जाएगे। मैं नहीं समझ पा रही खुशी मनाऊं या गम।