रास्तों में बोहोत से कांटे, कातिलाना इम्तिहान बड़े थे। कभी लड़े औरों से बोहोत, और कभी अपने आप से हम बेइंतहा लड़े थे। करीब आने पर पढ़ पाए, हमारे माथों पर लिखे थे जो शिकन के नगमे वो जनाब , वरना पहले हम इस तरफ और वो, गुरूर ए चिलमन के उस पार खड़े थे।। होंठ सीख रहें हैं तरीके अभी भी, हाल ए दिल सुनाने के लिए, नज़दीकियां ज़रूरी हैं जनाब, अश्क पलकों पर दिखाने के लिए। क्या करें दूर से टूटना और मुस्कुराना हमारा, एक सा लगता है, के जान गए हैं हम कई नुस्खे, दर्द ए दिल छिपाने के लिए। नासूर बन गए थे वो ज़ख्म, जो हुज़ूर ने अरमानों पर गढ़े थे, हम थोड़ा संभले फिर डगमगाए, और फिर दोबारा उन मयखानों पर खड़े थे।। बेअसर से जो नज़र आते हैं, ये दिखावा हम खूब करते हैं, ईमानदार हैं लब्ज़ हमारे, बस हलक तक का ही सफ़र करते हैं। जानते हैं हमारा बोलना, किसी को किसी हाल में गवारा नहीं होगा, के आजकल के लोग बस नकली तारीफों, पर गुज़र बसर करते हैं। फिर भी खुश हो गए देख कर, वो टूटे ख्वाब जो अपने आप जड़े थे, होश आया तो जान पाए, जो समझ नहीं सके हमें आज तलक हम उनके साथ खड़े थे।। #shaayavita #imtihaan #ehsaas #kaantein #nojoto