चाँदनी रातों में चाँद को साथी बनाकर, आसमाँ को कागज़ सितारों को स्याही बनाकर, कुछ देखे थे सपने कि कोई मेरे भी हो अपने, उन सपनों को अपनी पलकों पे सजाकर, ज़माने से हसरत ए दीद हूँ तेरी इक झलक के लिए, एक काम कर दो, सनम थोड़ा मुस्कुराकर। कारवाँ ए ज़िन्दगी उस मोड़ पे आके रुकी, रखी थी जहाँ पे मेरे सपनो की कब्र बनाकर। दफन हो गए जज़्बात उन सपनो के साथ, थोड़ा एहसान अब कर दो मेरी मजार पे जाकर। सतरंगी सपने