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तेरे कानों में झुमके भी , झुम उठते है झूलो की तरह।

तेरे कानों में झुमके भी , झुम उठते है झूलो की तरह।
कम्बखत दर्द भी  उतने ही देते है , उतारने के बाद।।

तेरे आँखों का काजल भी , ठंडक देता है सूरमे की तरह।
कम्बखत आँखे छोटी कर देता है , काजल हटाने के बाद।।

तेरे हाथों में की मेहंदी भी , महकती है खुशबू की तरह।
कम्बखत हाथ सुने कर जाती है , रंग उतरने के बाद ।।

तेरे  श्रंगार में भी क्या नखरे है , क्या ख़ूब  हो चाँद की तरह।
कम्बखत रंग हीन लगता है , अमावस के आने के बाद ।।

तेरे ज़ुल्फों में भी क्या कशिश है , बिखरे काले बादलों की तरह।
कम्बखत हर बार सुलझ जाती है , ज़ोर की हवा आने के बाद ।।

                                                                              🖋️-विj
तेरे कानों में झुमके भी , झुम उठते है झूलो की तरह।
कम्बखत दर्द भी  उतने ही देते है , उतारने के बाद।।

तेरे आँखों का काजल भी , ठंडक देता है सूरमे की तरह।
कम्बखत आँखे छोटी कर देता है , काजल हटाने के बाद।।

तेरे हाथों में की मेहंदी भी , महकती है खुशबू की तरह।
कम्बखत हाथ सुने कर जाती है , रंग उतरने के बाद ।।

तेरे  श्रंगार में भी क्या नखरे है , क्या ख़ूब  हो चाँद की तरह।
कम्बखत रंग हीन लगता है , अमावस के आने के बाद ।।

तेरे ज़ुल्फों में भी क्या कशिश है , बिखरे काले बादलों की तरह।
कम्बखत हर बार सुलझ जाती है , ज़ोर की हवा आने के बाद ।।

                                                                              🖋️-विj
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विj

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