जनहित की रामायण - 19 (ऑक्सीजन विशेष) देश भर में ऑक्सीजन अभाव में जान गवां रहे, इंतजाम की सही दिशा में कदम नहीं बढ़ा पा रहे ! ना जाने किनकी सलाह पर चल रही सोच, न केंद्र न राज्य, तथ्यों को ही न समझ रहे !! सरकारों ने पीएसए प्लांट्स की खरीद में लगादी रकम , जाने बगैर कि पीएसए की ऑक्सीजन में नहीं है दम ! कोची में शुरु हुए प्लांट से आई खबर से है सब बेखबर, डॉक्टर ने कहा, आईसीयू के लायक नहीं समझते हम !! पीएसए निर्मित 93% शुद्ध ऑक्सीजन सही नहीं, अशुद्धता की अनिवार्य जांच पर स्थिति साफ नहीं ! अन्न औषध विभाग चाहता है अशुद्धता की जांच, सुनिश्चिति के लिये कहीं इसमें घातक पदार्थ तो नहीं !! लगे लगाये ऑक्सीजन के सैंकडों प्लांट्स मर मिट गये, हमने उनके आर्थिक स्वास्थ्य को बचाने के प्रयत्न न किये ! दो तीन टन प्रतिदिन के सामने सौ दो सौ टन वाले भिड़ गये, देश भर में फैले ये प्लांट गलाकाट स्पर्धा बेमौत मर गये !! ये बात नहीं कि इनकी उत्पादन लागत थी ज्यादा, हां, बड़े लिक़्विड प्लांट्स का सही नहीं रहा इरादा ! घाटा सह सकने की उनकी थी और है अटूट क्षमता, सौ किलो पहलवान समक्ष दो किलो का न टिक सकता !! आज हमें टनेज प्लांट्स का ही है एकमात्र सहारा, पर्याय में बिल्कुल सक्षम नहीं पीएसए उपक्रम हमारा ! छोटे क्रायोजेनीक प्लांट्स बनाने,चलाने को दें मदद, तभी संभव उत्पादन का जाल बिछ सकेगा दोबारा !! - आवेश हिन्दुस्तानी 18.5.2021 ©Ashok Mangal #OxygenCrisis #JanhitKiRamayan #AaveshVaani